बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) को लेकर हड़कंप मचा हुआ है। क्योंकि मतदाता सूची के चयन की इस प्रक्रिया में लगभग 65 लाख लोगों के नाम बाहर हो सकते हैं। इस बार सुप्रीम कोर्ट अपनी बात रख रहा है। मंगलवार को मामले की सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जयमाल्या बागची की बेंच ने साफ कर दिया कि अगर इस तरह से थोक में नाम बाहर किए गए तो कोर्ट चुप नहीं बैठेगा। अगली सुनवाई 12 अगस्त को होगी। बिहार में जो हड़कंप मचा है, वही बंगाल में भी मच सकता है। ममता बनर्जी इस बारे में पहले ही बोल चुकी हैं। सूत्रों के मुताबिक, बंगाल में SIR की अधिसूचना अगस्त में प्रकाशित हो सकती है। चुनाव आयोग ने बिना SIR के चयन के लिए जिन 11 दस्तावेजों का जिक्र किया है, उनमें आधार, राशन कार्ड और वोटर आईडी शामिल नहीं हैं। सुप्रीम कोर्ट ने आयोग से कहा कि वह SIR के लिए आधार और राशन कार्ड को ही दस्तावेज माने। आयोग इसे मानने को तैयार नहीं है। उन्होंने कोर्ट में प्रतिवाद भी पेश किया। उनका दावा है कि उन दस्तावेजों की बहुत आसानी से जालसाजी की जा सकती है। सुप्रीम कोर्ट में आज एसआईआर पर सुनवाई के दौरान एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स की ओर से पेश वकील प्रशांत भूषण ने कहा, “65 लाख लोगों ने एसआईआर प्रक्रिया में हिस्सा नहीं लिया। या तो उनकी मृत्यु हो गई या वे कहीं और चले गए। उनके नाम नए सिरे से दर्ज करने होंगे। चुनाव आयोग को इस पर कार्रवाई करनी होगी।” सुनवाई में जस्टिस बागची ने कहा, “चुनाव आयोग एसआईआर का मसौदा प्रकाशित करेगा। 65 लाख लोगों के नाम मतदाता सूची से छूट सकते हैं। हम मामले पर नज़र रख रहे हैं। अगर इस तरह बड़े पैमाने पर नाम छूटे हैं, तो हम हस्तक्षेप करेंगे।” मतदाता सूची में नाम शामिल करने या उसे बनाए रखने के लिए चुनाव आयोग इन 11 दस्तावेज़ों की माँग कर रहा है:
जन्म प्रमाण पत्र
पासपोर्ट
मैट्रिक या उच्च शिक्षा प्रमाण पत्र
सरकारी पहचान पत्र या पेंशन दस्तावेज़
स्थायी निवास प्रमाण पत्र
वन अधिकार प्रमाण पत्र
जाति प्रमाण पत्र
राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) दस्तावेज़ (यदि कोई हो)
परिवार रजिस्टर
भूमि या मकान आवंटन प्रमाण पत्र
1987 से पहले सरकार द्वारा जारी पहचान पत्र