पश्चिम बंगाल उर्दू अकादमी द्वारा आयोजित फिल्म महोत्सव अचानक स्थगित कर दिया गया है। यह महोत्सव 1 से 3 सितंबर तक कला मंदिर में आयोजित होने वाला था। प्रसिद्ध उर्दू कवि, गीतकार, फिल्म और कहानीकार जावेद अख्तर को इसमें आमंत्रित किया गया था। प्रख्यात फिल्म निर्देशक मुजफ्फर अली को भी आमंत्रित किया गया था। लेकिन, महोत्सव को अचानक स्थगित कर दिया गया है। सूत्रों का दावा है कि दो मुस्लिम संगठनों ने गीतकार जावेद अख्तर पर आपत्ति जताई थी। क्योंकि, जावेद अख्तर जन्म से मुसलमान होने के बावजूद, धार्मिक आस्था नहीं रखते। जमीयत उलमा-ए-हिंद और वाहिया फाउंडेशन ने आपत्ति जताई थी। उस आपत्ति के कारण, महोत्सव को फिलहाल स्थगित कर दिया गया है। हालांकि पश्चिम बंगाल उर्दू अकादमी ने आधिकारिक तौर पर इस संबंध में कोई कारण स्पष्ट नहीं किया है। उन्होंने केवल स्थगन की पुष्टि की है। जिससे भारी हंगामा शुरू हो गया है। इसी तरह, राज्य के कई स्थापित ‘उदारवादी मुसलमानों’ ने मुख्यमंत्री को एक खुले पत्र में मामले को गंभीरता से लेने का आग्रह किया है। सोशल मीडिया पर यह मामला प्रसारित होना शुरू हो गया है। भाकपा (माले) लिबरेशन पश्चिम बंगाल राज्य समिति ने एक बार फिर इस घटना की निंदा की है और सभी वर्गों के लोगों से आवाज उठाने का आह्वान किया है। उनका तर्क है, “धार्मिक अतिशयोक्ति और सरकारी प्रतिबंध का उद्देश्य देश के अग्रणी धर्मनिरपेक्ष, फासीवाद-विरोधी विरोध की आवाज़ और लोकप्रिय कवि एवं विचारक जावेद अख्तर की आवाज़ को दबाना है।” दूसरी ओर, इस घटना के विरोध में एसएफआई समेत 6 वामपंथी छात्र संगठनों ने दिल्ली में जावेद अख्तर के साथ एक कार्यक्रम आयोजित करने की योजना बनाई है। एसएफआई के महासचिव सृजन भट्टाचार्य ने कहा, “एसएफआई समेत वामपंथी छात्र संगठनों ने जावेद अख्तर को दिल्ली में उसी विषय पर बोलने के लिए आमंत्रित किया है जिस पर पश्चिम बंगाल में कट्टरपंथियों की आपत्तियों के कारण जावेद अख्तर का भाषण रोक दिया गया था। हम एक बैठक आयोजित करेंगे, जावेद अख्तर से संपर्क करने की कोशिश की जा रही है।”
जावेद अख्तर का बंगाल उर्दू अकादमी का निमंत्रण रद्द
