यह सोचने का समय है कि हमें रूस से तेल खरीदना चाहिए या नहीं। रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने बुधवार को एक इंटरव्यू में यह बात कही। साथ ही उन्होंने अमेरिका द्वारा 50 फीसदी टैरिफ लगाए जाने पर भी चिंता जताई। रघुराम के मुताबिक, ‘यह भारत के लिए एक स्पष्ट चेतावनी है।’ डोनाल्ड ट्रंप रूस से तेल खरीदने पर भारत पर दो बार 50 फीसदी टैरिफ लगा चुके हैं। ऐसे में राजन ने कहा, ‘यह हमारे लिए आंख खोलने वाली घटना है। हमें किसी देश पर बहुत ज्यादा निर्भर नहीं रहना चाहिए। हमें पूर्वी एशिया, यूरोप, अफ्रीका पर नजर रखनी चाहिए। हमें अमेरिका के साथ भी अच्छे संबंध बनाए रखने चाहिए। हालांकि, ऐसे सुधार लाने होंगे जिससे प्रति वर्ष कम से कम 8 से 8.5 फीसदी की वृद्धि हो।’ उनका मानना है कि रूस से तेल खरीदने की नीति पर पुनर्विचार किया जाना चाहिए। रघुराम राजन के शब्दों में, ‘हमें यह सोचना होगा कि किसे फायदा हो रहा है और किसे नुकसान। रिफाइनर मुनाफा कमा रहे हैं। लेकिन जो निर्यात कर रहे हैं उन्हें नुकसान उठाना पड़ रहा है।’ अगर ज़्यादा मुनाफ़ा न हो, तो सोचना चाहिए कि ख़रीद जारी रखना सही है या नहीं.’ उनका मानना है कि व्यापार, निवेश और अर्थव्यवस्था को भी हथियार की तरह इस्तेमाल किया जा रहा है. रघुराम ने कहा, ‘आज व्यापार, निवेश और यहाँ तक कि अर्थव्यवस्था भी एक तरह का हथियार है. इसलिए किसी एक देश पर निर्भर रहना ठीक नहीं है.’ उनके मुताबिक़, ‘चीन, जापान, अमेरिका- सबके साथ काम करें, लेकिन किसी पर निर्भर न रहें. वैकल्पिक रास्ते खुले रखने चाहिए. जहाँ तक हो सके, आत्मनिर्भर होना चाहिए.’ रघुराम राजन का मानना है कि अमेरिकी टैरिफ़ से सबसे ज़्यादा प्रभावित छोटे व्यापारी होंगे. उनके शब्दों में, ‘यह टैरिफ़ सिर्फ़ भारत के लिए ही नहीं है. यह भारत-अमेरिका संबंधों के लिए भी एक बड़ा झटका है. ख़ासकर झींगा किसान और कपड़ा उद्योग जैसे छोटे निर्यातक सबसे ज़्यादा प्रभावित होंगे.’
रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने रूस से तेल खरीद को लेकर भारत की आलोचना की
