संसदीय समिति ने नए आयकर कानून पर 285 सुझाव दिए

नए आयकर कानून पर संसदीय समिति ने 285 सुझाव दिए हैं। मोदी सरकार 1961 के आयकर अधिनियम की जगह नया कानून ला रही है। पिछले बजट में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इसकी घोषणा की थी। फिर संसदीय समिति का फैसला बुधवार को सार्वजनिक हुआ। सत्तारूढ़ खेमा सोमवार से शुरू हो रहे संसदीय सत्र के पहले दिन लोकसभा में विधेयक पेश करना चाहता है। सरकार का मानना है कि इसी सत्र में विधेयक पारित हो जाएगा। ऐसे में राष्ट्रपति की मंजूरी और अन्य जरूरी प्रक्रियाएं पूरी करने के बाद नया आयकर कानून एक अप्रैल 2026 से देश में लागू हो सकता है। साठ के दशक में भी यही हुआ था। अगले साल 1961 का आयकर अधिनियम लागू किया गया था। 1962 से 2025 तक विभिन्न सरकारों ने इस कानून में 65 बार विभिन्न संशोधन लाए हैं। कुल चार हजार संशोधन किए गए हैं। इस बार सरकार पुराने कानून की जगह नया आयकर कानून लागू करने जा रही है। भाजपा सांसद बैजयंत पांडा की अध्यक्षता वाली संसदीय समिति ने आयकर विधेयक की समीक्षा की है। समाचार एजेंसी पीटीआई ने समिति के एक सदस्य से बात की। उन्होंने बताया कि आयकर विधेयक का विस्तृत अध्ययन करने के बाद, उन्होंने 285 सुझाव दिए हैं। नियमों के अनुसार, सरकार इन सभी सुझावों को स्वीकार कर सकती है। हो सकता है कि वह इन्हें स्वीकार न भी करे। इस प्रक्रिया के बाद, सोमवार को लोकसभा में नया आयकर विधेयक पेश किया जाएगा। इस विधेयक में क्या-क्या होगा, इस बारे में सरकारी सूत्रों से कुछ जानकारी मिली है। ज्ञातव्य है कि आयकर प्रणाली को सरल भाषा में लोगों तक पहुँचाने के मुद्दे को महत्व दिया गया है। इसके अलावा, पिछले आयकर कानून में कुछ ऐसे प्रावधान थे जो वर्तमान में प्रासंगिक नहीं रह गए हैं। वे नए कानून में नहीं होंगे। डेटा संग्रह से लेकर आयकर से जुड़े विभिन्न मामलों में डिजिटल मीडिया के बेहतर उपयोग पर भी ज़ोर दिया गया है। इसके अलावा, ऐसा माना जा रहा है कि पिछले कानून में आयकर जमा करने से लेकर कुछ जटिलताएँ थीं। सरकारी सूत्र ने बताया कि वे इस कानून में नहीं होंगी। सरकार का लक्ष्य मुकदमों की संख्या को कम करना भी है। इसके अलावा, वित्त मंत्रालय एक ‘एकल कर वर्ष’ बनाने पर भी विचार कर रहा है।

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