मुख्यमंत्री ममता बनर्जी विदेशी राज्यों में बंगाली प्रवासी कामगारों के उत्पीड़न को लेकर फिर मुखर हुई हैं। बंगाली कामगार सिर्फ़ बाहर ही नहीं हैं। ममता का दावा है कि उन्हें ‘दामादों’ द्वारा विदेशी राज्यों में ले जाया गया है। क्योंकि वे विभिन्न विषयों में कुशल हैं। लेकिन ओडिशा, हरियाणा, महाराष्ट्र, गुजरात में बंगाली कामगारों को क्यों परेशान किया जा रहा है? ममता ने यह सवाल उठाया और यह भी कहा कि बंगाली प्रतिभाओं के बिना विदेशों के प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थान काम नहीं कर सकते। उन्होंने कहा, “अमेरिकी राष्ट्रपति ने गुजरात के लोगों को कमर में जंजीरें डालकर भेजा है। वह बंगाली प्रतिभाओं को नहीं भगा सकते।” देश के विभिन्न हिस्सों से बंगाली कामगारों के उत्पीड़न की शिकायतें बार-बार आती रही हैं। कहीं उन्हें पीटा गया है, कहीं उन्हें थाने ले जाकर प्रताड़ित किया गया है। हर जगह उन्हें एक ही बात कहने पर प्रताड़ित किया गया है, ‘आम’ बंगाली। बंगाल के 22 लाख कामगार विदेशी राज्यों में काम करते हैं। मुख्यमंत्री का दावा है कि उनके दामादों को उनके दामादों द्वारा विदेशी राज्यों में ले जाया गया है। ममता के शब्दों में, “कृपया, उन्हें नहीं ले जाया गया। कुछ सुनार के काम में कुशल हैं। कुछ कपड़े बनाने में कुशल हैं। कुछ निर्माण कार्य में कुशल हैं। उन्हें उनके दामादों ने बुलाकर ले गए। लेकिन आज वे अपमान, वंचना, उत्पीड़न और अन्याय का सामना कर रहे हैं।”
मुख्यमंत्री ने अन्य राज्यों में बंगाली प्रवासी श्रमिकों के उत्पीड़न के खिलाफ फिर बोला
