भारत में अभी भी बच्चों को गोद लेने की प्रक्रिया बेहद जटिल है। इसके अलावा, यह पूरी प्रक्रिया काफी समय लेने वाली है। इस असुविधा को अब देश की सर्वोच्च अदालत ने भी स्वीकार किया है। सर्वोच्च न्यायालय ने टिप्पणी की है कि भारत में बच्चों को गोद लेने की प्रक्रिया ‘कष्टप्रद और निराशाजनक’ है। इसके साथ ही, न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन की पीठ ने कहा है कि इससे जुड़ी जटिल और समय लेने वाली कानूनी प्रक्रिया को सरल बनाया जाना चाहिए। सर्वोच्च न्यायालय ने इस संबंध में एक स्वयंसेवी संगठन के आवेदन के औचित्य को व्यावहारिक रूप से स्वीकार कर लिया है। उस स्वयंसेवी संगठन ने 2022 में बच्चों को गोद लेने की लंबी कानूनी प्रक्रिया को और सरल बनाने के लिए सर्वोच्च न्यायालय में एक आवेदन दायर किया था। उन्होंने दावा किया कि भारत में ‘केंद्रीय दत्तक ग्रहण संसाधन प्राधिकरण’ के तहत एक बच्चे को गोद लेने में तीन से चार साल लग जाते हैं, जबकि लाखों बच्चे इंतज़ार कर रहे हैं। शिकायत के आधार पर, सर्वोच्च न्यायालय ने एक स्वयंसेवी संगठन के प्रमुख पीयूष सक्सेना को इस संबंध में एक रिपोर्ट तैयार करने को कहा। उस रिपोर्ट में भी यही आरोप सामने आया था।
‘इतना लंबा इंतजार अवांछनीय, कठिन और निराशाजनक है’, सर्वोच्च न्यायालय ने कहा-केंद्र बच्चा गोद लेने की प्रक्रिया आसान बनाए
