मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने आरोप लगाया है कि मतदाता सूची के विशेष गहन अध्ययन की आड़ में एनआरसी लागू किया जा रहा है। इसी दिन, स्वतंत्रता दिवस से ठीक पहले, बेहाला में एक कार्यक्रम के मंच से उन्होंने सवाल उठाया कि क्या 50 साल पहले जन्मे लोगों को जन्म प्रमाण पत्र मिलेगा। इसी दिन ममता ने दावा किया कि मतदाता सूची के मुद्दे पर सबसे पहले विरोध प्रदर्शन करने वाली तृणमूल कांग्रेस ही थी। इतना ही नहीं, तृणमूल की ओर से सुप्रीम कोर्ट में एक मामला भी दायर किया गया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि मतदाता सूची में संशोधन के लिए मांगे जा रहे दस्तावेज़ सभी को आसानी से उपलब्ध नहीं हैं। उनका सवाल है, “कितने लोगों के पास पैन कार्ड या पासपोर्ट है? 1982 में पैदा हुए ज़्यादातर लोग घर पर ही पैदा हुए थे – क्या तब उनका प्रसव अस्पताल में हुआ था? मेरे पास तो जन्म प्रमाण पत्र भी नहीं है।” हालाँकि सुप्रीम कोर्ट ने आज आदेश दिया कि बिहार में जिन लोगों के नाम सूची से छूट गए हैं, उनके लिए आधार कार्ड को दस्तावेज़ के रूप में स्वीकार किया जाए। इसके साथ ही, जस्टिस जयमाल्या बागची और सूर्यकांत की पीठ ने कहा कि जिन 65 लाख लोगों के नाम सूची से छूट गए हैं, उनके नाम कारणों सहित सार्वजनिक किए जाने चाहिए। जिसे विपक्षी खेमे की जीत के तौर पर देखा जा रहा है। इस मौके पर ममता ने कहा, “सुप्रीम कोर्ट ने बिहार के मामले में कुछ रियायत दी है। बंगाल के मामले में भी इस पर ज़रूर विचार किया जाएगा।”
SIR मुद्दे पर मुख्यमंत्री ने कहा, ‘मुझे उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट बंगाल की चिंताओं को सुनेगा’
