शीर्ष अदालत में राज्य को मान्यता मिली, ओबीसी मामले में कलकत्ता हाईकोर्ट के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाई

राज्य की मांग को शीर्ष अदालत ने स्वीकार कर लिया। सुप्रीम कोर्ट ने ओबीसी प्रमाणपत्रों की अधिसूचना से जुड़े मामले में कलकत्ता हाईकोर्ट के आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी है। साथ ही मामले को कलकत्ता हाईकोर्ट को वापस भेजा जा रहा है। मुख्य न्यायाधीश बी आर गवई की खंडपीठ ने नई पीठ बनाकर मामले का जल्द निपटारा करने का आदेश दिया है। मुख्य न्यायाधीश की पीठ ने सभी पक्षों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है। ओबीसी सूची से जुड़े मामले में कलकत्ता हाईकोर्ट ने 2024 में 2010 से जारी सभी ओबीसी प्रमाणपत्रों को रद्द कर दिया था। कोर्ट ने पाया कि इन प्रमाणपत्रों का आधार कमजोर था, यह सूची बिना पर्याप्त जानकारी और सबूत के तैयार की गई थी। राज्य को नई सूची तैयार करने को कहा गया था। नई सूची उसी के अनुसार तैयार की गई। लेकिन हाईकोर्ट में एक मामला दायर कर आरोप लगाया गया कि सब कुछ नियमों के मुताबिक नहीं किया गया। हालांकि राज्य और पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग ने दलील दी कि सभी नियमों का पालन किया गया। तब जस्टिस तपोब्रत चक्रवर्ती और जस्टिस राजशेखर मंथर की पीठ ने ओबीसी सूची से जुड़े मामले में अंतरिम रोक जारी कर दी। अदालत ने यह भी आदेश दिया कि नई सूची 31 जुलाई तक प्रभावी नहीं होगी। राज्य सरकार ने उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देते हुए सर्वोच्च न्यायालय का रुख किया। सोमवार को मुख्य न्यायाधीश गवई, न्यायमूर्ति के विनोद चंद्रन और न्यायमूर्ति एनवी अंजारिया की पीठ ने मामले की सुनवाई की।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *